Tuesday, December 30, 2014

बवासीर के लिए योग(Yoga for Piles)

      इस योग उपचार के लिए मरीज को पेट साफ करके ही योग करे। लम्बे समय के लिए एक स्थान पर न बैठे। छोटे अंतराल पर चलने से लाभदाई रहेंगा। 

      नियमित रूप से वज्रासन,सिद्धासन,गुप्तासन,गोमुखासन ,हलासन का अभ्यास फायदेमंद रहेगा। इस रोगी को अश्विनी मुद्रा,मूलबंध,नाड़ी शोधन और शीतली प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। 


गोमुखासन(Gomukhasana) 


विधि:
 १.     दण्डासन में बैठकर बाएँ पैर को मोड़कर एड़ी को दाएँ नितम्ब के पास रखें अथवा एड़ी पर बैठ भी सकते हैं। 

२.     दाएँ पैर को मोड़कर बायें पैर के ऊपर इस प्रकार रखें की दोनों घुटने एक दूसरे से स्पर्श करते हुए हों। 

३.     दायें हाथ को ऊपर पीठ की और मोड़िए तथा बाएं हाथ को पीठ के पीछे से लेकर दायें हाथ को पकड़िए। गर्दन एवं कमर सीधी रखें। 

४.     एक और करने के बाद विश्राम करके दूसरी ऑर इसी प्रकार करें। 





लाभ: 

            धातु रोग,बहुमूत्र एवं स्त्री रोग में लाभदायी है। अंडकोषवृद्धि एवं आंत्रवृद्धि  तथा

यकृत,गुर्दे  वक्षस्थल को बल देता है। संधिवात एवं गठिया को दूर करता है। 


सिद्धासन(SIDDHASANA)


१.     दण्डासन में बैठकर बाएं पैरको मोड़ कर एड़ी को सिवनी पर लगायें। दाहिने पैर की एड़ी

को उपस्थेंन्द्रिय के ऊपर वाले भाग पर स्थिर करें। बायें पैर के टखने पर दायें पैर का टखना होना चाहिये। पैरो के पंजे। जंघा और पिण्डली के मध्य रहें। 

२.     घुटने जमीन पर ठीके हुए हों। दोनों हाथ ज्ञान मुद्रा की स्थिति में घुटने पर ठीके हुये हों। मेरुदण्ड सीधा रहे। ऑंखें बन्द करके मन को एकाग्र करें। 



लाभ: 
        बवासीर तथा यौन रोगो के लिए लाभदाए है। काम वेग को शांत करके मन को शांति प्रदान करता है। सिद्धो द्वारा सेवित होने से इसका नाम सिद्धासन है।

 

हलासन(Halasan) 

विधि:

१.     पीठ के बल लेट जायें,अब श्वास अंदर भरते हुए धीरे से पैरो को उठाये। पहले ३०,६० डिग्री फिर ९० डिग्री तक उठाने के बाद पैरो को सीर के पीछे की और पीठ को भी ऊपर उठाते हुए श्वास को बहार निकालते हुए ले जाये। 

२.     पैरो को सर के पीछे भूमि पर टिका दें। प्रारम्भ में हाथो को कमर के पीछे लगा दे। पूरी स्थिति में हाथ भूमि पर ही रखे,इस स्थिति में ३० सेकंड रखे। 


३.     वापस जिस क्रम से ऊपर आए थे उसी क्रम से भूमि को हथेलियों को दबाते हुए पैरो को घुटनो से सीधा रखते हुए भूमि प्रर रखे। 

 



लाभ :

१.     थाइराइड ग्रंथि को चुस्त और मोटापा,दुर्बलता आदि को दूर करता है। 

२.    मेरुदण्ड को स्वस्थ,लचीला बना कर पृष्ठ भाग की मास  पेशियों को निरोगी बनता है। 

३.   गैस, कब्ज,डायबिटीस,यकृत-वृद्धि एवं हदय रोग में लाभकारी है। 

सावधानियाँ :

१.   उच्च रक्तचाप,स्लिपडिस्क,सर्वाइकल, टी.बि. आदि मेरुदण्ड के रोगी इस आसान को ना करे।  

1 comment:

  1. Nice tips. But yoga needs lot of time and effort. Don't waste you time try out natural supplement for piles without effort. It has no ill health effects.

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