Saturday, January 3, 2015

सिद्धासन(SIDDHASANA)



१.     दण्डासन में बैठकर बाएं पैरको मोड़ कर एड़ी को सिवनी पर लगायें। दाहिने पैर की एड़ी 

को उपस्थेंन्द्रिय के ऊपर वाले भाग पर स्थिर करें। बायें पैर के टखने पर दायें पैर का टखना होना चाहिये। पैरो के पंजे। जंघा और पिण्डली के मध्य रहें। 

२.     घुटने जमीन पर ठीके हुए हों। दोनों हाथ ज्ञान मुद्रा की स्थिति में घुटने पर ठीके हुये हों। मेरुदण्ड सीधा रहे। ऑंखें बन्द करके मन को एकाग्र करें। 






लाभ: 
        बवासीर तथा यौन रोगो के लिए लाभदाए है। काम वेग को शांत करके मन को शांति प्रदान करता है। सिद्धो द्वारा सेवित होने से इसका नाम सिद्धासन है।

No comments:

Post a Comment